INS Ikshak
संदर्भ:
06 नवम्बर 2025 को भारतीय नौसेना ने आईएनएस इक्षाक (INS Ikshak) को कोच्चि नौसैनिक अड्डे पर औपचारिक रूप से कमीशन किया। ‘इक्षाक’ शब्द का अर्थ है “मार्गदर्शक”, जो इस पोत के मिशन — अज्ञात समुद्री मार्गों का मानचित्रण और सुरक्षित नौवहन सुनिश्चित करने — का प्रतीक है।
आईएनएस इक्षाक के बारे में (About INS Ikshak)
- आईएनएस इक्षाक भारतीय नौसेना के Survey Vessel Large (SVL) वर्ग का तीसरा पोत है, जबकि इससे पहले आईएनएस संध्याक और आईएनएस निर्देशाक सेवा में शामिल हो चुके हैं।
- यह जहाज Garden Reach Shipbuilders and Engineers (GRSE), कोलकाता द्वारा निर्मित किया गया है, और इसका डिजाइन नौसेना के Warship Design Bureau ने तैयार किया है।
मुख्य उद्देश्य:
- आईएनएस इक्षाक का मुख्य कार्य हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण (Hydrographic Survey) करना है — यानी समुद्र की गहराई, ज्वार-भाटा, समुद्र तल की बनावट और अन्य विशेषताओं का अध्ययन एवं मानचित्रण।
विशेषताएं:
- यह पोत एक Autonomous Underwater Vehicle (AUV) से सुसज्जित है, जो 1,000 मीटर गहराई तक सर्वेक्षण कर सकता है। साथ ही इसमें एक Remotely Operated Vehicle (ROV) भी है, जो HD कैमरे के माध्यम से समुद्री मलबे या जहाजों की जांच कर सकता है।
- यह जहाज 110 मीटर लंबा और 16 मीटर चौड़ा है, जिसका वजन 3,400 टन है। इसमें कुल 231 कर्मी (20 अधिकारी और 211 नाविक) कार्यरत रहेंगे।
- इसकी संचालन क्षमता 6,500 नौटिकल मील (लगभग 12,000 किमी) तक है, जिससे यह लंबे समुद्री अभियानों में तैनात रह सकता है।
रणनीतिक महत्व:
- आईएनएस इक्षाक इस वर्ष नौसेना में शामिल होने वाला दसवां पोत है। यह पोत नौसैनिक सर्वेक्षण पोत समुद्र को जानने योग्य, नौवहन योग्य और सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम है।
- भारत की हाइड्रोग्राफिक क्षमता न केवल रक्षा रणनीति बल्कि व्यापारिक नौवहन और विदेशी सहयोग (जैसे मॉरीशस और वियतनाम को सर्वे सहायता) में भी अहम भूमिका निभा रही है।
- आईएनएस इक्षाक भारत की समुद्री शक्ति को सुदृढ़ करने वाला एक आधुनिक, बहुउद्देश्यीय जहाज है — जो भारत को “नील जल नौसेना” (Blue Water Navy) के लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम होगा।

