Russian Oil India calls out double standards
Russian Oil India calls out double standards –
संदर्भ:
भारत ने अमेरिका में पेश किए गए Russian Sanctions Act 2025 पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें रूस से तेल खरीदने वाले देशों (जिनमें भारत भी शामिल है ) पर 500% तक शुल्क लगाने का प्रस्ताव है। भारत ने इस विधेयक को लेकर वैश्विक कूटनीति में “दोहरे मापदंडों“ के खिलाफ चेतावनी दी है और कहा है कि यह विकासशील देशों की ऊर्जा संप्रभुता को कमजोर करने वाला कदम है।
भारत ने US-Russia Sanctions Act, 2025 का विरोध क्यों किया है?
भारत ने प्रस्तावित US-Russia Sanctions Act, 2025 का विरोध स्पष्ट रूप से इन प्रमुख कारणों से किया है:
ऊर्जा सुरक्षा:
- भारत रूस से रियायती दरों पर बड़ी मात्रा में कच्चा तेल आयात करता है, जिससे घरेलू ईंधन मूल्य नियंत्रण में रहता है।
- यह विधेयक भारत की सस्ती और भरोसेमंद ऊर्जा आपूर्ति को खतरे में डाल सकता है, जो विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए अनिवार्य है।
रणनीतिक स्वायत्तता:
- भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता है और किसी भी बाहरी दबाव का विरोध करता है।
- यह विधेयक भारत को उसकी संप्रभु निर्णय प्रक्रिया से पीछे हटने को मजबूर करने का प्रयास प्रतीत होता है।
चयनात्मक प्रतिबंधों का विरोध:
- भारत ने अमेरिका पर ‘भू–राजनीतिक दोहरे मानकों‘ का आरोप लगाया है।
- जहां भारत पर रूसी तेल आयात को लेकर दबाव है, वहीं कई यूरोपीय देश आज भी रूस से प्राकृतिक गैस खरीद रहे हैं, उन्हें ऐसी कोई सजा नहीं दी जा रही।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा और तेल आयात पर US Sanctions Act, 2025 के संभावित प्रभाव
तेल आपूर्ति में बाधा:
- यह अधिनियम भारतीय कंपनियों को रूसी ऊर्जा फर्मों से व्यापार करने से रोक सकता है।
- Indian Oil Corporation जैसी कंपनियों को Rosneft से दीर्घकालिक अनुबंध जारी रखने में कठिनाई हो सकती है।
ऊर्जा लागत में वृद्धि: रियायती रूसी तेल तक सीमित पहुंच से भारत का आयात बिल बढ़ सकता है और घरेलू ईंधन की कीमतों में उछाल आ सकता है।
आपूर्ति श्रृंखला में अनिश्चितता: यह अधिनियम भू-राजनीतिक अस्थिरता को जन्म देता है, जिससे भारत की ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला अस्थिर हो सकती है।
भारत के कच्चे तेल आयात की स्थिति: प्रमुख तथ्य
विश्व में स्थान: भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश है।
आयात पर निर्भरता: भारत अपनी कच्चे तेल की लगभग 88% आवश्यकता आयात के माध्यम से पूरी करता है।
रूस–यूक्रेन युद्ध के बाद बदलाव: 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद, भारत ने रियायती दरों पर रूसी तेल की खरीद में तेज़ी लाई।
मुख्य आयात स्रोत देश: भारत के प्रमुख कच्चे तेल आपूर्तिकर्ता देश हैं: इराक, सऊदी अरब, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.), संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
भारत द्वारा कच्चे तेल आयात प्रबंधन के लिए उठाए गए प्रमुख कदम
आपूर्ति स्रोतों का विविधीकरण: भारत विभिन्न देशों जैसे इराक, सऊदी अरब, UAE, अमेरिका और रूस से कच्चे तेल का आयात कर रहा है ताकि किसी एक क्षेत्र पर निर्भरता कम हो।
स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व (SPR): आपातकाल या भू-राजनीतिक संकट की स्थिति में आपूर्ति बनाए रखने हेतु भारत ने रणनीतिक तेल भंडार विकसित किए हैं।
घरेलू उत्पादन को बढ़ावा: Hydrocarbon Exploration and Licensing Policy (HELP) जैसी पहलों के माध्यम से भारत घरेलू तेल खोज और उत्पादन को प्रोत्साहित कर रहा है, जिससे आत्मनिर्भरता बढ़े।
ऊर्जा दक्षता और वैकल्पिक स्रोत: भारत नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश कर रहा है और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा दे रहा है, जिससे कच्चे तेल पर समग्र निर्भरता घटे।
द्विपक्षीय समझौते: भारत ने सऊदी अरब, इराक और रूस जैसे देशों के साथ दीर्घकालिक समझौते किए हैं ताकि स्थिर और भरोसेमंद आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।