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संदर्भ:
हानि और क्षति कोष: अमेरिकी राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु क्षति कोष (Fund for Responding to Loss and Damage – FRLD) से अपना समर्थन वापस ले लिया है। यह कोष जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।
हानि और क्षति कोष (Loss and Damage Fund – LDF)
परिचय:
- स्थापना: 2022 UNFCCC सम्मेलन (COP27, मिस्र) में की गई।
- उद्देश्य: जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली आर्थिक और गैर-आर्थिक क्षति की भरपाई के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- प्रभावित क्षेत्र:
- चरम मौसम घटनाएं (Extreme Weather Events)
- धीमी गति से होने वाली प्रक्रियाएं (Slow-Onset Processes), जैसे समुद्र स्तर में वृद्धि।
प्रशासनिक व्यवस्था:
- गवर्निंग बोर्ड (Governing Board) इस कोष के संसाधनों के वितरण का निर्णय लेता है।
- विश्व बैंक (World Bank) वर्तमान में अंतरिम ट्रस्टी (Interim Trustee) के रूप में कार्य कर रहा है।
हानि और क्षति कोष के उद्देश्य और लक्ष्य:
- हानि और क्षति की भरपाई:
- जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- उदाहरण: चक्रवात (Cyclones), जंगल की आग (Wildfires), सूखा आदि।
- पुनर्निर्माण और पुनर्वास में सहायता: जलवायु परिवर्तन से प्रभावित समुदायों और बुनियादी ढांचेके पुनर्निर्माण में सहयोग।
- गैर-आर्थिक नुकसान की भरपाई:
- सांस्कृतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय हानियों से निपटने में मदद।
- उदाहरण: विस्थापन (Displacement), जैव विविधता की हानि (Biodiversity Loss), विरासत स्थलों को नुकसान (Damage to Heritage Sites)।
- जलवायु सहनशीलता (Climate Resilience) को बढ़ावा: जोखिम प्रबंधन रणनीतियों (Risk Management Strategies) को विकसित करने मेंअतिसंवेदनशील देशोंकी सहायता।
वित्त पोषण और योगदान (Funding & Contributions)
- विकसित देशों का योगदान: संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क (UNFCCC) और पेरिस समझौते (Paris Agreement) के तहत विकसित देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की अपेक्षा है।
- बहुपक्षीय और निजी क्षेत्र का योगदान: विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों और निजी कंपनियों से भी योगदान की संभावना।
- नवाचार वित्तपोषण तंत्र: भविष्य में नए वित्तीय साधनोंको अपनाने पर विचार किया जा सकता है, जैसे:
- जीवाश्म ईंधन कंपनियों पर लेवी
- जलवायु कर (Climate Taxes)
चिंताएँ:
- अमेरिका का वापसी निर्णय:
- अमेरिका की वापसी से वैश्विक जलवायु न्याय को नुकसान पहुँचा है।
- अमेरिका को जलवायु क्षति के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और उसे उचित क्षतिपूर्ति (reparations) देनी चाहिए।
- धीमी सहायता प्रक्रिया:
- जलवायु कोष अक्सर आपदा के तुरंत बाद प्रभावित समुदायों तक नहीं पहुँच पाते।
- स्थानीय स्तर पर सहायता वितरण में देरी की समस्या बनी रहती है।
- एलडीएफ (LDF) भी इसी चुनौती का सामना कर सकता है।
- उत्सर्जन में कटौती की आवश्यकता:
- यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती नहीं होती, तो जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और अधिक देशों को प्रभावित करेंगे।
- स्थायी विकास लक्ष्यों (SDGs)को प्राप्त करने के लिए शमन (mitigation), अनुकूलन (adaptation), और क्षति-नुकसान (loss & damage) हेतु अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत होगी।