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भारत-श्रीलंका के बीच प्रमुख समझौता ज्ञापन

सामान्य अध्ययन पेपर II: भारत और इसके पड़ोसी, द्विपक्षीय समूह और समझौते 

चर्चा में क्यों? 

भारत-श्रीलंका के बीच प्रमुख समझौता ज्ञापन: हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा और डिजिटल क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने वाले सात प्रमुख समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर हुए। 

भारत-श्रीलंका के बीच प्रमुख समझौता ज्ञापन (MoU) और रणनीतिक सहयोग

  • रक्षा सहयोग समझौता: भारत और श्रीलंका के बीच यह पहली बार है जब सैन्य सहयोग के लिए एक संस्थागत ढांचे को स्थापित किया गया है। दोनों देशों ने रक्षा सहयोग पर एक विस्तृत समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जो पाँच वर्षों तक लागू रहेगा। इस समझौते के तहत दोनों पक्ष सैन्य प्रशिक्षण, संयुक्त अभ्यास, और रक्षा प्रौद्योगिकी में सहयोग को और गहरा करेंगे।
  • ऊर्जा क्षेत्र में त्रिपक्षीय सहयोग: भारत, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात ने त्रिंकोमाली क्षेत्र को एक प्रमुख ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह सहयोग पारंपरिक और हरित ऊर्जा दोनों के विकास को लक्षित करता है और क्षेत्रीय ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा। 
  • HVDC इंटरकनेक्शन परियोजना: भारत और श्रीलंका के बीच HVDC (हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट) इंटरकनेक्शन प्रणाली की स्थापना के लिए समझौता हुआ है। इस परियोजना से दोनों देशों के बीच बिजली का आदान-प्रदान संभव होगा, जिससे आपातकालीन स्थितियों में बिजली संकट से निपटना आसान होगा। 
  • डिजिटल परिवर्तन में सहयोग: भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा श्रीलंका के डिजिटल इकॉनॉमी मंत्रालय के बीच डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग के लिए MoU साइन किया गया। इसमें भारत द्वारा अपनाए गए सफल डिजिटल समाधानों जैसे आधार, यूपीआई, और डिजिलॉकर को श्रीलंका में लागू करने की संभावनाएँ तलाशी जाएँगी। 
  • स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र में साझेदारी: भारत और श्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्रालयों के बीच स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग हेतु समझौता किया गया। यह समझौता महामारी प्रबंधन, औषधि अनुसंधान, और स्वास्थ्य कर्मियों के प्रशिक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों को समाहित करता है। 
  • औषधि मानक सहयोग: भारतीय फार्माकोपिया आयोग और श्रीलंका की राष्ट्रीय औषधि नियामक प्राधिकरण के बीच एक MoU पर हस्ताक्षर हुआ, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के औषधि मानकों में सामंजस्य स्थापित करना है। इससे दोनों देशों में दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित की जा सकेगी। 
  • पूर्वी प्रांत के लिए बहु-क्षेत्रीय सहायता: भारत ने श्रीलंका के पूर्वी प्रांत के लिए बहु-क्षेत्रीय अनुदान सहायता का वादा किया है। यह सहायता बुनियादी ढाँचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका जैसे क्षेत्रों में विकास को गति देगी। यह सहयोग विशेष रूप से तमिल बहुल इलाकों के सामाजिक-आर्थिक विकास को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
  • बुनियादी ढांचे का विकास: प्रधानमंत्री मोदी ने महो-ओमानथाई रेलखंड के उन्नयन का उद्घाटन किया और महो-अनुराधापुर रेलवे लाइन के सिग्नलिंग सिस्टम के निर्माण की शुरुआत की। साथ ही डंबुला में तापमान नियंत्रित कृषि भंडारण केंद्र और सांपुर सौर ऊर्जा परियोजना की आधारशिला भी रखी गई।
  • धार्मिक एवं सांस्कृतिक सहयोग: भारत ने त्रिन्कोमाली स्थित तिरुकोनेश्वरम मंदिर, सीता एलिया मंदिर और अनुराधापुर में पवित्र शहर परियोजना के विकास के लिए अनुदान सहायता की घोषणा की। इसके अतिरिक्त, 2025 के अंतरराष्ट्रीय वैशाख दिवस पर भगवान बुद्ध के अवशेषों की श्रीलंका में प्रदर्शनी की योजना भी प्रस्तुत की गई।
  • वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम: प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंकाई नागरिकों के लिए भारत में वार्षिक 700 व्यक्तियों के समग्र प्रशिक्षण कार्यक्रम की घोषणा की। यह कार्यक्रम शिक्षा, प्रौद्योगिकी, प्रशासन और अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों में श्रीलंकाई प्रतिभाओं को तैयार करने में सहायक होगा।

भारत और श्रीलंका संबंध – विस्तारपूर्वक 

  • ऐतिहासिक संबंध – भारत और श्रीलंका के बीच संबंध हजारों वर्षों पुराने हैं, जो समुद्री व्यापार, धर्म और मानव प्रवास के माध्यम से विकसित हुए। प्राचीन काल में उत्तर भारत से आर्य प्रवासियों ने श्रीलंका में आकर सिंहली सभ्यता की नींव रखी। महावंश और दीपवंश जैसे बौद्ध ग्रंथों में भारत-श्रीलंका संबंधों का गहरा वर्णन मिलता है। विशेषकर अशोक काल में बौद्ध धर्म का प्रचार भारत से श्रीलंका तक पहुँचा और यह आज भी दोनों देशों की धार्मिक एकता को मजबूत करता है।
    • 1987 से 1990 तक भारत ने श्रीलंका में IPKF (भारतीय शांति सेना) के माध्यम से शांति स्थापना का प्रयास किया था। हालांकि यह पहल जटिलताओं से भरी रही, फिर भी इसने भारत की क्षेत्रीय जिम्मेदारी और संकट समाधान की भूमिका को दर्शाया।
  • राजनीतिक संबंध – भारत और श्रीलंका दोनों लोकतांत्रिक गणराज्य हैं और कॉमनवेल्थ देशों के सदस्य भी हैं। भारत ने श्रीलंका को हालिया आर्थिक संकट के समय 3.8 बिलियन डॉलर की सहायता देकर ‘पड़ोसी पहले’ नीति को व्यवहार में उतारा। हाल के वर्षों में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की नियमित बैठकों से रक्षा, ऊर्जा, पर्यटन, और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में साझा हितों को गति मिली है। भारत, श्रीलंका के कर्ज पुनर्गठन प्रस्ताव का भी प्रमुख समर्थक रहा है।
  • सांस्कृतिक संबंध – भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक संबंध गहरे और जीवंत हैं। दोनों देशों के बीच बौद्ध धर्म सबसे बड़ा सेतु है। 2020 में प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका को बौद्ध स्थलों के पुनर्निर्माण, युवा भिक्षुओं की शिक्षा और विरासत संरक्षण हेतु 15 मिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की। इसके अतिरिक्त, तमिलनाडु और उत्तरी श्रीलंका के तमिल समुदायों के बीच भाषाई और सांस्कृतिक एकता भी द्विपक्षीय संवाद को दिशा देती है।
    • भारत श्रीलंका के लिए पर्यटन का सबसे बड़ा स्रोत देश बन गया है। 
    • वर्ष 2022 में भारत से 1 लाख से अधिक पर्यटक श्रीलंका पहुँचे, जिससे न केवल उसकी अर्थव्यवस्था को सहायता मिली बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक निकटता को भी बल मिला। 
    • भारत और श्रीलंका मिलकर ‘रामायण सर्किट’ जैसे सांस्कृतिक पहल भी शुरू कर रहे हैं।
  • व्यापारिक संबंध – भारत, श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। दोनों देशों के बीच 2000 से लागू मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के कारण द्विपक्षीय व्यापार में चार गुना वृद्धि देखी गई है। भारत श्रीलंका को पेट्रोलियम, दवाएँ, वाहन और निर्माण सामग्री निर्यात करता है, जबकि श्रीलंका भारत को चाय, कपड़ा और रबर उत्पाद भेजता है। भारतीय रुपये में व्यापार और नए ऊर्जा निवेश श्रीलंका की आर्थिक पुनरुद्धार में सहायक बन रहे हैं।
    • वर्ष 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 5.54 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो आर्थिक साझेदारी की परिपक्वता को दर्शाता है। 
    • श्रीलंका के 60% से अधिक निर्यात इस समझौते का लाभ उठाते हैं, जबकि भारत उसका तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। 
  • रणनीतिक सहयोग – भारत और श्रीलंका ने हाल ही में समुद्री और रक्षा क्षेत्र में सहयोग को औपचारिक रूप देते हुए एक रक्षा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इसके साथ-साथ दोनों देशों ने बिजली ग्रिड को जोड़ने, पेट्रोलियम पाइपलाइन और ‘लैंड ब्रिज’ निर्माण की संभावनाओं की भी संयुक्त घोषणा की है। इन उपायों का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखना और दोनों देशों की ऊर्जा सुरक्षा को साझा करना है।
    • भारत और श्रीलंका बिम्सटेक तथा सार्क जैसे क्षेत्रीय संगठनों के सदस्य हैं, जिनका उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग, व्यापार, और तकनीकी विकास को बढ़ावा देना है।
  • मानवीय सहयोग: वर्ष 2022 में जब श्रीलंका विदेशी मुद्रा की भारी कमी से जूझ रहा था और देश में जीवन की बुनियादी आवश्यकताएँ भी दुर्लभ हो गई थीं, तब भारत ने लगभग 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता देकर उसे आर्थिक रूप से सहयोग किया। इस सहायता में ईंधन, खाद्य पदार्थ, दवाइयाँ और ऋण सुविधा शामिल थी, जिसने सामान्य नागरिकों को राहत देने के साथ-साथ द्विपक्षीय संबंधों में विश्वास का संचार किया।
    • 2014 के बाद से भारत ने श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में 60,000 से अधिक घरों का निर्माण कर हजारों परिवारों को स्थायी निवास की सुविधा दी।

भारत-श्रीलंका संबंधों की प्रमुख चुनौतियाँ

  • भू-राजनीतिक संतुलन: श्रीलंका में चीन की बढ़ती आर्थिक और सामरिक उपस्थिति भारत के लिए एक रणनीतिक चिंता का विषय बन गई है। वर्ष 2017 में हंबनटोटा बंदरगाह का 99 वर्षों के लिए चीन को पट्टे पर दिया जाना और 2022 में चीनी जासूसी जहाज ‘युआन वांग-5’ का श्रीलंकाई जल में आगमन, क्षेत्रीय संतुलन को अस्थिर करने वाले घटनाक्रम रहे। इससे न केवल श्रीलंका की चीन पर आर्थिक निर्भरता बढ़ रही है, बल्कि भारत के हिंद महासागर में प्रभाव को सीमित करने की आशंका भी बढ़ जाती है।
  • कच्चातिवु विवाद: कच्चातिवु द्वीप, जो कभी भारत का हिस्सा था, अब श्रीलंका के अधिकार क्षेत्र में है—यह विवाद आज भी भारत-श्रीलंका संबंधों को प्रभावित करता है। वर्ष 1974 में हुए समझौते के अनुसार भारत ने इस निर्जन द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया, लेकिन इसके बाद भी तमिलनाडु के मछुआरे परंपरागत रूप से इस क्षेत्र में मछली पकड़ते रहे हैं। 
  • तमिल अल्पसंख्यक समुदाय: श्रीलंका में गृहयुद्ध समाप्त होने के बाद भी तमिल समुदाय की मूलभूत माँगों को अब तक पूर्ण रूप से संबोधित नहीं किया गया है। भारत द्वारा समर्थित 13वें संशोधन के अंतर्गत तमिल क्षेत्रों को स्वायत्तता देने की दिशा में अब तक सार्थक प्रगति नहीं हुई है। इससे श्रीलंकाई तमिलों में असंतोष बना हुआ है, जो द्विपक्षीय विश्वास को प्रभावित करता है। 
  • समुद्री सीमाओं की अस्पष्टता: भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सीमाएँ, विशेषकर पाक जलडमरूमध्य और मन्नार की खाड़ी के क्षेत्रों में, अब तक स्पष्ट और व्यावहारिक रूप से सीमा तय नहीं हो पाई हैं। समुद्री संसाधनों की दोहरी दावेदारी और क्षेत्रीय भ्रम ने मछुआरों के लिए इन जल क्षेत्रों को विवादास्पद बना दिया है।
  • रणनीतिक स्वतंत्रता: श्रीलंका की आर्थिक संरचना पर बाहरी ऋण और विदेशी निवेश का भारी दबाव है, जिसमें चीन की भागीदारी सबसे अधिक है। भारत द्वारा दी गई सहायता के बावजूद, श्रीलंका की नीतियाँ कभी-कभी असंतुलित दिखाई देती हैं। इससे भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति प्रभावित हो जाती है। 

UPSC पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs) 

प्रश्न (2013). भारत-श्रीलंका के संबंधों के संदर्भ में विवेचना कीजिये कि किस प्रकार आतंरिक (देशीय) कारक विदेश नीति को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न (2022). ‘भारत श्रीलंका का बरसों पुराना मित्र है।’ पूर्ववर्ती कथन के आलोक में श्रीलंका के वर्तमान संकट में भारत की भूमिका की विवेचना कीजिये। 

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