चर्चा में क्यों ?
“प्रधानमंत्री मोदी धनवंतरि जयंती पर 13,000 करोड़ रुपये की स्वास्थ्य परियोजनाओं (health projects) का शुभारंभ करेंगे”
धनवंतरि जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्वास्थ्य परियोजनाओं का शुभारंभ: (Health projects launched by PM Modi on Dhanvantari Jayanti)
स्थान और उद्देश्य (Venue and Objectives):
- कार्यक्रम स्थल (Venue): अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), नई दिल्ली।
- आयुष्मान भारत PM-JAY योजना के तहत प्रमुख पहल, जिसमें 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के सभी नागरिकों के लिए स्वास्थ्य कवरेज का विस्तार।
- देशभर में स्वास्थ्य ढांचे का विस्तार और तकनीकी सुधार पर ध्यान केंद्रित।
उद्घाटन की मुख्य बातें (Highlights of inauguration):
- अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) का दूसरा चरण (Phase II of All India Institute of Ayurveda (AIIA): पंचकर्म अस्पताल, आयुर्वेदिक फार्मेसी, खेल चिकित्सा इकाई, पुस्तकालय, आईटी इनक्यूबेशन सेंटर, और 500 सीटों वाला ऑडिटोरियम शामिल।
- मध्य प्रदेश में तीन नए मेडिकल कॉलेज (Three new medical colleges in Madhya Pradesh): मंदसौर, नीमच और सिवनी में।
- AIIMS का विस्तार (Expansion of AIIMS): भोपाल, बिलासपुर और पटना में नई सुविधाएँ।
आधारशिला (Foundation Stone):
- नर्सिंग कॉलेज (Nursing Colleges): मध्य प्रदेश में पाँच नए नर्सिंग कॉलेज।
- क्रिटिकल केयर ब्लॉक (Critical Care Blocks): हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मणिपुर, तमिलनाडु और राजस्थान में 21 नए क्रिटिकल केयर ब्लॉक (PM-ABHIM के तहत)।
ईएसआईसी (ESIC) अस्पताल (ESIC Hospitals):
- उद्घाटन (Inauguration): इंदौर, मध्य प्रदेश में ईएसआईसी अस्पताल।
- आधारशिला (Foundation Stone): फरीदाबाद (हरियाणा), बोम्मसंद्र और नरसापुर (कर्नाटक), इंदौर (मध्य प्रदेश), मेरठ (उत्तर प्रदेश), और आच्युतपुरम (आंध्र प्रदेश) में।
आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं (Emergency Medical Services):
- हेलीकॉप्टर आपातकालीन सेवाएं (Helicopter emergency services): AIIMS ऋषिकेश से शुरू होंगी।
- ड्रोन सेवाएं (Drone services): 11 प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों, जैसे AIIMS रायपुर और AIIMS गुवाहाटी में।
यू-विन और सहायक पोर्टल (U-WIN and Auxiliary Portals):
- यू-विन पोर्टल (U-WIN and Auxiliary Portals): गर्भवती महिलाओं और बच्चों के टीकाकरण रिकॉर्ड को सरल बनाने के लिए।
- सहायक स्वास्थ्य कर्मियों के लिए केंद्रीकृत पोर्टल।
अनुसंधान और विकास पहल (Research and Development Initiatives):
- केंद्रीय औषध परीक्षण प्रयोगशाला (Central Drug Testing Laboratory): भुवनेश्वर में उद्घाटन।
- केंद्रीय शोध संस्थान (Central Research Institute): योग और प्राकृतिक चिकित्सा के लिए ओडिशा और छत्तीसगढ़ में स्थापित।
“मेक इन इंडिया” को बढ़ावा (Promoting “Make in India”):
- पीएलआई योजना के तहत उत्पादन इकाइयाँ (Production units under PLI scheme): उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा उपकरणों और आवश्यक दवाओं का उत्पादन करने के लिए पाँच नई इकाइयाँ।
राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य जागरूकता अभियान (Nationwide health awareness campaign):
- देश का प्रकृति परीक्षण अभियान (Desh Ka Prakriti Pariksha Abhiyan): नागरिकों में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने के लिए।
- जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पर कार्य योजनाएं (Action plans on climate change and health): हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में जलवायु-लचीलेपन के लिए राज्य-विशिष्ट योजनाएं।
धनतेरस का त्योहार (Dhanteras Festival):
- भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य को धन से भी अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। एक प्रसिद्ध कहावत है, “पहला सुख निरोगी काया, दूसरा सुख घर में माया।” इसीलिए, दीपावली के अवसर पर सबसे पहले धनतेरस का महत्व बढ़ जाता है, जो भारतीय परंपराओं के अनुसार सर्वथा उचित है।
- शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन (Samudra Manthan) के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि भगवान विष्णु के अंशावतार हैं, भगवान विष्णु के 24 अवतारों में 12वां अवतार धन्वंतरि का था। और उन्होंने चिकित्सा विज्ञान के विकास और विस्तार के लिए अवतार लिया। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के इस अवसर को मनाने के लिए ही धनतेरस का त्योहार आयोजित किया जाता है।
- धनतेरस न केवल समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक है, बल्कि यह हमें जीवन में स्वास्थ्य के महत्व को भी समझाता है। इस दिन लोग नए बर्तन, धातु, और आभूषण खरीदते हैं, ताकि वे समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति कर सकें।
धन्वंतरि कौन थे (Who was Dhanvantri):
- भगवान धन्वंतरि (Dhanvantri) को आयुर्वेद के जनक (father of Ayurveda) और देवताओं के वैद्य (physician of the gods) के रूप में विशेष मान्यता प्राप्त है।
- उन्हें चिकित्सा और शल्य-चिकित्सा (medicine and surgery) के विशेषज्ञ के रूप में पूजा जाता है।
- हिंदू धर्म में स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति के लिए उनके आशीर्वाद की कामना की जाती है।
- प्राचीन कथाओं के अनुसार, काशी के राजा दिवोदास (Divodas) के रूप में धन्वंतरि ने आयुर्वेद का ज्ञान ऋषियों को दिया, जिनमें प्रसिद्ध शल्य चिकित्सक सुश्रुत भी शामिल थे।
- माना जाता है कि धन्वंतरि ने आयुर्वेद को आठ प्रमुख भागों में विभाजित किया – शल्य (सर्जरी), शालाक्य (नेत्र-रोग चिकित्सा), कायचिकित्सा (सामान्य चिकित्सा), भूतविद्या (मानसिक रोग चिकित्सा), कौमारभृत्य (बाल चिकित्सा), अगदतंत्र (विष चिकित्सा), रसायनतंत्र (दीर्घायु का विज्ञान) और वाजीकरणतंत्र (प्रजनन वर्धक विज्ञान) – और उन्होंने प्रत्यक्ष (प्रयोग आधारित ज्ञान), आगम (शास्त्रों का आधार), अनुमान (तर्क) और उपमा (समानता) के माध्यम से इसे सिखाना प्रारंभ किया।
- धन्वंतरि को विष्णु (Vishnu) का अवतार भी माना जाता है, और समुद्र मंथन (Samudra manthan) की प्रसिद्ध कथा में वे अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। यह अमृत (अमृत रस) देवताओं और असुरों के बीच अमरत्व की खोज का प्रतीक माना जाता है।
- इसके अलावा, वैद्यों के अत्रेय संप्रदाय में चिकित्सक अक्सर गंभीर शल्य चिकित्सा के मामलों को धन्वंतरि संप्रदाय के वैद्यों के पास भेजते थे, जो शल्य-चिकित्सा में विशेष रूप से निपुण माने जाते थे।
प्रामाणिक स्रोत (Authentic sources):
- वैदिक साहित्य और पुराणों में धन्वंतरि की उपस्थिति का उल्लेख मिलता है, विशेष रूप से भागवत पुराण और विष्णु पुराण (Bhagavata Purana and the Vishnu Purana) में।
- चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में धन्वंतरि को मान्यता देने के प्रमाण चरक संहिता और सुश्रुत संहिता (Charaka Samhita and Sushruta Samhita) में भी मिलते हैं, जो आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथ हैं।
धन्वंतरि की कहानी (Story of Dhanvantri):
- उद्भव (Emergence): भगवान धन्वंतरि का प्रमुख उल्लेख भागवत पुराण में है, जहां वे समुद्र मंथन के दौरान, जिसे समुन्द्र मंथन कहा जाता है, क्षीर सागर से प्रकट हुए।
- समुद्र मंथन की प्रक्रिया (Process of Samudra Manthan): जब देवताओं और असुरों ने मंडरा पर्वत और वासुकी नाग का उपयोग करके समुद्र को मंथन किया, तब धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए।
- अमृत का संघर्ष (Struggle for Amrit): यह अमृत अंततः असुरों द्वारा छीन लिया गया, जिसके बाद भगवान विष्णु के एक अन्य अवतार मोहिनी ने हस्तक्षेप किया और अमृत को वापस प्राप्त किया।
- आयुर्वेद का जनक (Father of Ayurveda): धन्वंतरि को आयुर्वेद का पिता माना जाता है। चरक संहिता के अनुसार, आयुर्वेद का ज्ञान शाश्वत है और यह प्रत्येक सृष्टि के चक्र में प्रकट होता है। जब आवश्यकता होती है, भगवान विष्णु धन्वंतरि के रूप में अवतार लेते हैं ताकि आयुर्वेद को पुनर्स्थापित किया जा सके और मानवता की पीड़ा को कम किया जा सके।
- आध्यात्मिक प्रतीक (Spiritual symbolism): समुद्र मंथन की यह घटना आत्म-साक्षात्कार के लिए आध्यात्मिक प्रयास का प्रतीक है और इसमें विभिन्न दिव्य हस्तक्षेप शामिल हैं। इस प्रक्रिया के दौरान भगवान धन्वंतरि ने आयुर्वेदिक ज्ञान का दिव्य स्रोत व्यक्त किया।
- दिव्य घटनाएं (Divine Events): इस मंथन के दौरान, एक घातक विष (हलाहल) प्रकट हुआ, जिसे भगवान शिव ने पी लिया। इसके बाद भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश लिए प्रकट हुए।
- असुरों की लालसा (Greed of the Asuras): असुरों ने अमृत कलश के लिए लड़ाई की, जिसके परिणामस्वरूप भगवान विष्णु ने मोहिनी के रूप में अवतार लिया, एक मोहक महिला जो असुरों से अमृत को वापस ले गई और इसे केवल देवताओं में बांट दिया। इससे देवताओं में नई ऊर्जा आई और वे असुरों पर विजय प्राप्त कर सके।
- धन्वंतरि का पुनः प्रकट होना (Reappearance of Dhanvantri): भगवान विष्णु ने धन्वंतरि के पुनः प्रकट होने की भविष्यवाणी की थी ताकि वे आयुर्वेद की शिक्षा दे सकें। इस भविष्यवाणी के अनुसार, धन्वंतरि इंद्र की प्रार्थना पर प्रकट हुए, जिन्होंने मानवता की पीड़ाओं को देखा।
- राजा दीर्घतमा की तपस्या (Penance of King Dirghatama): काशी के राजा दीर्घतमा ने भगवान धन्वंतरि को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया और पुत्र की वरदान की प्रार्थना की। राजा की भक्ति से प्रसन्न होकर धन्वंतरि काशी के राजपरिवार में जन्मे।
- आयुर्वेद का ज्ञान (Knowledge of Ayurveda): धन्वंतरि ने ऋषियों और साधुओं को आयुर्वेद का ज्ञान मौखिक रूप से impart किया, जिसे उनके शिष्यों ने अग्नि पुराण में दर्ज किया।
- धन्वंतरि की विरासत (Legacy of Dhanvantri): धन्वंतरि की विरासत उनके शिष्यों जैसे सुश्रुत, पौष्कलवात, और वैतरणा के माध्यम से जीवित रही।
धनतेरस के दिन, धन्वंतरि की पूजा (On the day of Dhanteras, worship of Dhanvantari):
पौराणिक कथा के अनुसार अमृत कलश के लिए देवताओं और दानवों के बीच में समुद्र मंथन किया गया था. समुद्र मंथन से एक-एक कर पूरे 14 रत्न बाहर निकले थे, जिसमें सबसे आखिर में अमृत कलश निकला था, जिसे धन्वंतरि लेकर प्रकट हुए थे. जिस दिन धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे वह कार्तिक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी का दिन था. इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है। इसीलिये धनतेरस को पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परम्परा भी है। इसलिए धनतेरस के दिन इनकी पूजा की जाती है.
इस तिथि में प्रकट होने के कारण धनतेरस के दिन को धन्वंतरि त्रयोदशी या धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है.
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस
आयुर्वेद भारतीय इतिहास में सबसे प्राचीन और सुविवेचित चिकित्सा प्रणाली है। इसकी समग्र दृष्टिकोण 21वीं सदी में भी प्रासंगिक बनी हुई है। यह उपचार प्रणाली शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखकर रोगों की रोकथाम को बढ़ावा देती है। आयुर्वेदिक उपचार का केंद्र बिंदु पंचतत्व या दोषों के संतुलन पर होता है।
- इस प्राचीन चिकित्सा प्रणाली को विश्व स्तर पर बढ़ावा देने के लिए, केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने 28 अक्टूबर 2016 को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस की शुरुआत की।
- आयुष मंत्रालय ने 2016 में राष्ट्रीयआयुर्वेद दिवस मनाने की शुरुआत की।
- यह हर सालधन्वंतरि जयंती के अवसर पर मनाया जाता है।
- यह दिवस आयुर्वेद के महत्व और इसके लाभों को जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है, ताकि लोग अपनी स्वास्थ्य प्रणाली में इसे शामिल कर सकें।
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