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मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने विदेशों से उच्च गुणवत्ता वाली समुद्री शैवाल बीज सामग्री के आयात को सुविधाजनक बनाने के लिए नए दिशानिर्देश अधिसूचित किए हैं। इस पहल का उद्देश्य तटीय गांवों में समुद्री शैवाल उद्यमों को बढ़ावा देना, पर्यावरण संरक्षण बनाए रखना और इस क्षेत्र से संबंधित जैव सुरक्षा चिंताओं का समाधान करना है।
दिशानिर्देशों की आवश्यकता:
- समुद्री शैवाल की विशेषताएँ: समुद्री शैवाल विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों, जैसे लवणता के विभिन्न स्तर और तापमान में उतार-चढ़ाव के संपर्क में रहते हैं।
- जैव सुरक्षा जोखिम: समुद्री शैवाल विभिन्न बीमारियों, कीटों और रोगाणुओं का आश्रय दे सकते हैं।
- जैविक कारक: प्रजनन रणनीतियों और आनुवंशिकी में अंतर के कारण समुद्री शैवाल नए वातावरण में भी स्थायी रह सकते हैं।
दिशानिर्देश:
- आयात प्रतिबंध: यदि समुद्री शैवाल को रोगजनकों का वाहक माना जाता है या वह सीआईटीईएस (CITES) के अंतर्गत सूचीबद्ध है, या आईयूसीएन (IUCN) की संकटग्रस्त सूची में है, तो ऐसे जीवित समुद्री शैवाल के आयात की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसे निर्यातक देश के सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रमाणित होना आवश्यक है।
- परमिट और मंजूरी: समुद्री शैवाल की जीवित सामग्री के आयात के लिए भारत सरकार के मत्स्य विभाग से वैध परमिट और भारतीय जल में विदेशी जलीय प्रजातियों के प्रवेश संबंधी राष्ट्रीय समिति से मंजूरी की आवश्यकता होगी।
- प्रत्यक्ष बिक्री पर प्रतिबंध: घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आयातित समुद्री शैवाल की प्रत्यक्ष बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- बौद्धिक संपदा अधिकार: निर्यातक और आयातक आयातित सामग्री पर किसी बौद्धिक संपदा या अन्य अधिकार का दावा नहीं करेंगे।
समुद्री शैवाल के बारे में:
- परिभाषा: समुद्री शैवाल समुद्री पौधों और शैवाल की प्रजातियों का एक सामान्य नाम है जो समुद्र, नदियों, झीलों और अन्य जल निकायों में उगते हैं।
- उदाहरण:
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- कप्पाफाइकस अल्वारेज़ी
- लाल शैवाल गेलिडिएला एसेरोसा
- ग्रेसिलेरिया एडुलिस
- अनुप्रयोग: प्रयोगशालाएं, फार्मास्यूटिकल्स, सौंदर्य प्रसाधन, कार्डबोर्ड, कागज, पेंट और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ।
भारत का समुद्री शैवाल उत्पादन:
- वर्तमान में, भारत की समुद्री शैवाल उत्पादन क्षमता लगभग 7 मिलियन टन प्रति वर्ष है, जबकि वास्तविक उत्पादन केवल 34,000 टन है।
- प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई): यह एक प्रमुख योजना है जिसका लक्ष्य 2025 तक देश में समुद्री शैवाल उत्पादन को 12 मिलियन टन से अधिक बढ़ाना है।
निष्कर्ष: ये नए दिशानिर्देश न केवल समुद्री शैवाल के आयात को नियंत्रित करेंगे, बल्कि तटीय गांवों में समुद्री शैवाल उद्यमों के विकास को भी प्रोत्साहित करेंगे, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और जैव सुरक्षा चिंताओं का समाधान होगा।
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