Rajon ki Baoli
संदर्भ:
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने वर्ल्ड मॉन्यूमेंट्स फंड इंडिया (WMFI) और टीसीएस फाउंडेशन के सहयोग से ‘राजों की बावली‘ (Rajon ki Baoli) — जो कि 16वीं शताब्दी का एक ऐतिहासिक बावड़ी (Stepwell) है — के संरक्षण कार्य को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
(Rajon ki Baoli) राजों की बावली: ऐतिहासिक जल संरचना
परिचय
- स्थान: दक्षिण दिल्ली का मेहरौली पुरातत्व पार्क।
- निर्माण:
- 1506 ईस्वी में दौलत खान द्वारा निर्मित।
- शासक: सिकंदर लोदी (लोदी वंश)।
- उद्देश्य: गर्मियों में विश्राम और जल भंडारण।
- नाम का अर्थ: राजों की बावली का अर्थ है राजमिस्त्रियों की बावली – इसका उपयोग पानी पीने और खाना पकाने के लिए किया जाता था।
स्थापत्य विशेषताएँ
आर्किटेक्चर:
- लोदी युग की वास्तुकला और पारंपरिक जल इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट उदाहरण।
- इंडो–इस्लामिक शैली: सुंदर पत्थर की नक्काशी और सजावटी मेहराब।
संरचना:
- भूमिगत निर्माण:सिर्फ ऊपरी मंजिल ही ज़मीन से ऊपर दिखती है।
- स्तरीय संरचना: कुल चार मंजिलें, जो नीचे की ओर संकुचित होती जाती हैं।
आयाम:
- क्षेत्रफल: 1,610 वर्ग मीटर।
- गहराई: 4 मीटर।
- मुख्य टैंक: 23 × 10 मीटर।
प्राकृतिक ठंडक: गर्मियों में ठंडी हवा का प्रवाह, जो प्राकृतिक राहत प्रदान करता है।