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भारत-श्रीलंका मत्स्य विवाद

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संदर्भ:

भारत-श्रीलंका मत्स्य विवाद: भारत और श्रीलंका के बीच पाल्क स्ट्रेट में समुद्री सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। अवैध मछली पकड़नेविनाशकारी मछली पकड़ने की तकनीकों और भारतीय मछुआरों की श्रीलंकाई नौसेना द्वारा बारबार गिरफ्तारी से दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव बढ़ा है।

भारतश्रीलंका समुद्री सीमा समझौते (1974 और 1976):

नक्शे का विवरण:

  • कच्चतीवू द्वीप (Katchatheevu Island) और उसके आस-पास के स्थानों को दर्शाया गया है।
  • दक्षिण भारत के प्रमुख स्थान: रामेश्वरम, धनुषकोडी, कन्याकुमारी, तिरुवनंतपुरम।
  • उत्तर श्रीलंका के प्रमुख स्थान: जाफना, मन्नार, पुट्टलम।
  • समुद्री विशेषताएँ: Wadge Bank और भारत-श्रीलंका समुद्री क्षेत्र।
  • कच्चतीवू द्वीप भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र में स्थित है

1974 समुद्री सीमा समझौता:

  • कच्चतीवू द्वीप को भारत-श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) के श्रीलंकाई पक्ष में माना गया।
  • भारतीय मछुआरों को द्वीप पर मछली पकड़ने की अनुमति नहीं दी गई, लेकिन उन्हें अपने जाल सुखाने और वार्षिक सेंट एंथोनी चर्च उत्सव में भाग लेने की अनुमति दी गई।

1976 समुद्री सीमा समझौता:

  • इस समझौते में मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar) और बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में समुद्री सीमाओं को और स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया।
  • समुद्री संसाधनों पर अनन्य अधिकार तय किए गए और भारत तथा श्रीलंका के मछुआरों को एक-दूसरे के समुद्री क्षेत्रों में मछली पकड़ने की अनुमति नहीं दी गई।

1976 समुद्री सीमा समझौता

भारत-श्रीलंका मत्स्य विवाद : प्रमुख मुद्दे और हालिया घटनाक्रम

  1. बारबार गिरफ्तारियां और समुद्री सीमा उल्लंघन
    • लगातार गिरफ्तारियां: तमिलनाडु के मछुआरेअंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) पार करते हैं, क्योंकि भारतीय जल क्षेत्र में मछलियों की संख्या घट रही है।
    • श्रीलंका की प्रतिक्रिया: गिरफ्तारियां, नौकाएं जब्त करना और कानूनी कार्रवाई, जिससे राजनयिक संबंध प्रभावित हो रहे हैं।
    • कानूनी विवाद: भारतीय मछुआरे ऐतिहासिक रूप से इस क्षेत्र में मछली पकड़ने का अधिकार मांगते हैं, जिससे संघर्ष बढ़ता है।
  2. पर्यावरण और सुरक्षा संबंधी चिंताएं
    • बॉटम ट्रॉलिंग: भारतीय मछुआरों की यह विधि श्रीलंका के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाती है और मछलियों की संख्या कम कर रही है।
    • सुरक्षा जोखिम: श्रीलंका को डर है कि मछली पकड़ने वाली नावों का उपयोग अवैध गतिविधियों या उग्रवाद से जुड़ी गतिविधियों में किया जा सकता है।
  3. कच्चातीवु विवाद और आजीविका संकट
    • संप्रभुता विवाद: भारतीय मछुआरों को कच्चातीवु द्वीप पर सीमित अधिकार मिले हैं, लेकिन तमिलनाडु के नेता इसे भारत में वापस लाने की मांग कर रहे हैं।
    • मछुआरों की परेशानी: भारतीय जल क्षेत्र में मछलियों की कमी के कारण मछुआरे श्रीलंका के क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे वहां के स्थानीय मछुआरे प्रभावित हो रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय कानून और राजनयिक प्रयास

  • महत्वपूर्ण कानून:
    • UNCLOS (1982): समुद्री क्षेत्रों में मछली पकड़ने और संरक्षण को नियंत्रित करता है।
    • UNFSA (1995): क्षेत्रीय मत्स्य प्रबंधन संगठनों (RFMOs) के नियमों का पालन आवश्यक बनाता है।
  • हालिया घटनाक्रम:
    • राजनयिक वार्ता: श्रीलंका ने भारत से बॉटम ट्रॉलिंग पर प्रतिबंध लगाने की अपील की।
    • संयुक्त कार्य समूह: विवाद सुलझाने के लिए द्विपक्षीय वार्ता मंच।
    • डीपसी फिशिंग योजना: भारत ने गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को बढ़ावा देने की पहल की, लेकिन अमल धीमा है।
    • गिरफ्तारियां जारी: बातचीत के बावजूद, 2025 तक भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारियां जारी हैं।

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