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प्रधानपति संस्कृति क्या हैं?

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संदर्भ:

प्रधानपति संस्कृति: पंचायती राज मंत्रालय ने प्रधानपतिसंस्कृति पर रोक लगाने के लिए एक समिति का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2023 में गठित सुशील कुमार समिति ने अपनी रिपोर्ट पंचायती राज मंत्रालय को सौंप दी है।

  • इस समिति ने ऐसे मामलों में कठोर दंड का प्रावधान करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यों में उनके पति या अन्य पुरुष रिश्तेदारों का हस्तक्षेप रोकना जरूरी है, ताकि महिला प्रधानों की शक्तियों के दुरुपयोग पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जा सके।

प्रधानपति संस्कृति क्या है?

  • यह एक ऐसी स्थिति को दर्शाने वाला शब्द है जब महिलाएँ सरपंच या प्रधान के रूप में चुनी जाती हैं, लेकिन वास्तविक सत्ता और निर्णय लेने का कार्य उनके पति या अन्य पुरुष रिश्तेदार (जैसे सरपंच-पति, सरपंच-देवर, प्रधान-पति) करते हैं।
  • इसका अर्थ है कि कानूनी रूप से (de jure) तो महिलाएँ निर्वाचित होती हैं, लेकिन वास्तविक रूप से (de facto) पंचायत उनके पति या अन्य पुरुष रिश्तेदार चलाते हैं।

महिला आरक्षण के संदर्भ में संवैधानिक और कानूनी प्रावधान:

  • 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992:
    • पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) में महिलाओं के लिए 1/3 आरक्षण।
    • 21 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों ने इसे बढ़ाकर 50% आरक्षण किया।
    • कानूनी कमी: यह अधिनियम प्रॉक्सी नेतृत्व पर स्पष्ट रूप से रोक नहीं लगाता, जिससे पुरुष रिश्तेदारों द्वारा सत्ता के दुरुपयोग की संभावना बनी रहती है।
  • सुप्रीम कोर्ट का आदेश (जुलाई 2023):
    • मामला: Mundona Rural Development Foundation बनाम भारत संघ।
    • निर्देश: सुप्रीम कोर्ट ने पंचायती राज मंत्रालय (MoPR) को प्रॉक्सी नेतृत्व को रोकने के लिए जांच करने और आवश्यक कदम सुझाने का आदेश दिया।

प्रॉक्सी नेतृत्व से निपटने के लिए प्रमुख सिफारिशें:

  • कानूनी और नीतिगत सुधार:
    • सख्त दंड: प्रॉक्सी नेतृत्व के मामलों में कड़ी सजा दी जाए।
    • नियमों का मानकीकरण: पूरे देश में समान कानूनी नीति बनाई जाए
  • हेल्पलाइन और व्हिसलब्लोअर सुरक्षा तंत्र:
    • गोपनीय हेल्पलाइन: महिला प्रतिनिधियों के लिए सुरक्षित हेल्पलाइन बनाई जाए।
    • व्हिसलब्लोअर इनाम योजना: प्रमाणित शिकायतों पर इनाम दिया जाए।
    • महिला-विशेष कोटा: पंचायत समिति और वार्ड स्तरीय समितियों में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें।
  • पंचायतों में महिला लोकपाल की नियुक्ति:
    • महिला लोकपाल नियुक्त कर शिकायत निवारण प्रणाली को मजबूत किया जाए
      • उदाहरण: ओडिशा के कुछ जिलों में यह व्यवस्था लागू होने से शिकायत निवारण में सुधार हुआ है।
  • महिला प्रधानों का सार्वजनिक शपथ ग्रहण: ग्राम सभा में सार्वजनिक रूप से शपथ लेना अनिवार्य किया जाए, जिससे उनकी जवाबदेही सुनिश्चित हो।
  • नेतृत्व प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण:
    • प्रशासन, वित्तीय प्रबंधन और कानूनी अधिकारों पर अनिवार्य प्रशिक्षण।
    • स्थानीय भाषा में प्रशिक्षण की सुविधा।
  • महिला विधायकों और सांसदों द्वारा सीधा मार्गदर्शन: महिला प्रधानों को अनुभवी महिला नेताओं द्वारा प्रत्यक्ष मार्गदर्शन दिया जाए।
  • पंचायतों में जेंडर रिसोर्स सेंटर: कानूनी सलाह, नेतृत्व प्रशिक्षण और नेटवर्किंग के लिए केंद्र स्थापित किए जाएं।
  • प्रौद्योगिकी और डिजिटल गवर्नेंस का उपयोग:
    • VR (वर्चुअल रियलिटी)- आधारित प्रशिक्षण: वास्तविक प्रशासनिक स्थितियों का अनुभव प्रदान करने के लिए।
    • AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता)- आधारित कानूनी और प्रशासनिक मार्गदर्शन: स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराया जाए
  • पंचायत निर्णय पोर्टल: नागरिकों को महिला प्रतिनिधियों की उपस्थिति और भागीदारी ट्रैक करने की सुविधा।

 

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