संदर्भ:
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग: भारत उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (NTDs) के उन्मूलन की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है। सरकार के राजनीतिक समर्थन, सामुदायिक भागीदारी और क्षेत्रीय सहयोग के चलते कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल हुई हैं।
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Diseases):
- क्या हैं NTDs:
- ये विभिन्न प्रकार के रोगजनकों (वायरस, बैक्टीरिया, परजीवी, फंगस और विषाक्त पदार्थों) से होने वाले रोगों का एक समूह है।
- इन रोगों का स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक प्रभाव विनाशकारी होता है।
- प्रमुख क्षेत्र:
- NTDs मुख्य रूप से गरीब समुदायों में उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- जहाँ जल की सुरक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा अपर्याप्त या निम्न स्तर की होती है।
- ‘उपेक्षित‘ क्यों कहा जाता है: ये रोग वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडा में बहुत कम महत्व रखते थे और इन्हें कम ध्यान और धन प्राप्त होता था।
- उदाहरण: गिनी वर्म (Guinea worm), चिकनगुनिया (Chikungunya)
- डेंगू , काला अजार, हाथीपाँव.
महत्वपूर्ण तथ्य:
- NTDs का प्रसार जटिल होता है; कुछ में पशु या मानव भंडार (reservoirs) होते हैं, कई रोग वाहकों द्वारा फैलते हैं और अधिकांश में जटिल जीवन चक्र होते हैं।
- NTDs की रोकथाम और उन्मूलन कठिन है।
- यह अनुमान है कि NTDs से 1 बिलियन से अधिक लोग प्रभावित हैं, जबकि 1.5 बिलियन लोगों को इनके निवारण और उपचार की आवश्यकता होती है।
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग का वैश्विक प्रभाव:
- ये रोग गंभीर बीमारियों और मृत्यु का कारण बन सकते हैं।
- इनके कारण दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएँ, विकलांगता और सामाजिक कलंक उत्पन्न होते हैं।
रोकथाम और नियंत्रण: कई NTDs को सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों द्वारा नियंत्रित या समाप्त किया जा सकता है, जैसे:
- मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन
- रोग वाहक नियंत्रण
- बेहतर स्वच्छता
- स्वच्छ पानी की पहुँच