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डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट, 2023

संदर्भ:

विपक्षी INDIA गठबंधन ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट, 2023 की धारा 44(3) को तुरंत निरस्त करने की मांग की है। उनका आरोप है कि यह प्रावधान सूचना के अधिकार (RTI) कानून को कमजोर करता है और पारदर्शिता तथा प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खतरा पैदा करता है।

Digital Personal Data Protection (DPDP) Act, 2023:

  1. मुख्य उद्देश्य: यह अधिनियम व्यक्तियों कीगोपनीयता का अधिकार सुरक्षित रखने के साथ-साथ सरकारी और निजी संस्थाओं को कानूनी रूप से डेटा प्रोसेस करने की अनुमति देता है।
  2. प्रमुख प्रावधान:
    • व्यक्तिगत डेटा के संग्रह, भंडारण और उपयोग को विनियमित करता है।
    • 2023 में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिली, लेकिन अभीपूर्ण रूप से लागू नहीं हुआ है क्योंकि नियमों की अधिसूचना लंबित है।

Section 44(3) और RTI Act, 2005 पर प्रभाव:

  1. RTI Act में बदलाव:
    • Section 44(3)के तहत RTI Act की धारा 8(1)(j) को प्रभावित किया गया है।
    • यह धारा पहले “व्यक्तिगत जानकारी” को कुछ शर्तों के तहत सार्वजनिक करने की अनुमति देती थी।
  2. नए अधिनियम के तहत चिंता:
    • अब व्यक्तिगत जानकारी को साझा करने की सीमा और संकुचित हो सकती है।
    • इससेसूचना के अधिकार (RTI) को कमजोर करने का खतरा है, क्योंकि कई जानकारियाँ अब “व्यक्तिगत” कहकर रोकी जा सकती हैं।

Section 44(3) of DPDP Act: क्या है समस्या?

  1. RTI अधिनियम की धारा 8(1)(j) को हटाया गया:
    • पहले यह धारा कहती थी किव्यक्तिगत जानकारी को रोका जा सकता हैयदि उसका सार्वजनिक हित से कोई लेना-देना नहीं है या वह अनावश्यक रूप से किसी की गोपनीयता का उल्लंघन करती है।

 

  1. ‘Public Interest Override’ का प्रावधान था: यदि कोई सूचनाजनहित में अत्यंत महत्वपूर्ण होती थी, तो उसे सार्वजनिक किया जा सकता था – भले ही वह व्यक्तिगत जानकारी ही क्यों हो
  2. DPDP अधिनियम के तहत बदलाव:
    • अबकोई भी व्यक्तिगत जानकारी बिना किसी अपवाद के रोकी जा सकती है
    • इससेभ्रष्टाचारसरकारी लापरवाही, या जनहित से जुड़े मामलों की जानकारी RTI के ज़रिए प्राप्त करना कठिन हो जाएगा।
  3. मुख्य समस्या:
    • जनहित को दरकिनारकिया गया है।
    • यहRTI कानून की मूल भावना और लोकतांत्रिक पारदर्शिता के खिलाफ है।
    • इससे नागरिकों कीजानकारी प्राप्त करने की शक्ति कमजोर होती है।

परिवर्तन (Amendment) के दुष्परिणाम:

  1. शासन में पारदर्शिता में कमी: सरकारी कामकाज और फैसलों की जानकारी हासिल करना अब कठिन हो जाएगा।
  2. अधिकारियों की जानकारी प्राप्त करना होगा मुश्किल: जनसेवकों (public servants) की कार्यप्रणाली और जिम्मेदारियों से जुड़ी जानकारी RTI के तहत मिलना अब कठिन हो गया है।
  3. सरकार को जवाबदेह ठहराने की RTI की भूमिका कमजोर: RTI का मूल उद्देश्य — जनता को सूचना देकर सरकार की जवाबदेही तय करना — अब प्रभावित होगा।
  4. भ्रष्टाचार विरोधी हथियार की धार कुंद:
    • RTI कानून ने पहले कई घोटाले और सरकारी लापरवाही उजागर की थीं।
    • लेकिन यदि नया संशोधन (amendment) ऐसे ही लागू रहता है, तो
      भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग से जुड़ी कई अहम जानकारियाँ अब सामने नहीं पाएंगी।

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