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संदर्भ:
दोषी व्यक्तियों द्वारा चुनाव लड़ना: भारत का सर्वोच्च न्यायालय वर्तमान में उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिनमें दोषी व्यक्तियों पर आजीवन चुनाव लड़ने से प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
दोषी व्यक्तियों द्वारा चुनाव लड़ना (चुनाव संबंधी कानूनी प्रावधान) :
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (RP Act, 1951) के तहत प्रावधान:
- धारा 8(3):
- यदि कोई व्यक्ति आपराधिक अपराधों में दोषी ठहराया जाता है और दो वर्ष या अधिक की सजा प्राप्त करता है, तो वह अयोग्य घोषित हो जाता है।
- रिहाई के बाद भी 6 वर्षों तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध रहता है।
- धारा 8(1):
- कुछ विशेष कानूनों के तहत दोषी पाए गए व्यक्तियों को सजा की अवधि के दौरान और रिहाई के बाद 6 वर्षों तक अयोग्य घोषित किया जाता है।
- इनमें शामिल अपराध:
- बलात्कार (Rape) जैसे जघन्य अपराध।
- नागरिक अधिकार संरक्षण (PCR) अधिनियम के तहत अस्पृश्यता (Untouchability) का प्रचार या पालन।
- गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गैरकानूनी संगठनों से जुड़ाव।
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act)।
- धारा 11: यह चुनाव आयोग (EC) को यह अधिकार देती है कि वह किसी दोषी व्यक्ति की अयोग्यता को समाप्त या कम कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले: राजनीति में अपराधीकरण पर रोक–
- एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) केस, 2002
- सुप्रीम कोर्ट ने सभी चुनावी उम्मीदवारों के लिए आपराधिक रिकॉर्ड का खुलासा अनिवार्य किया।
- इस फैसले का उद्देश्य मतदाताओं को पारदर्शिता और सूचना प्रदान करना था।
- मुख्य चुनाव आयुक्त बनाम जन चौकीदार केस, 2013
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेल में बंद व्यक्ति ‘मतदाता‘ नहीं होता और चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होता।
- हालांकि, 2013 में संसद द्वारा संशोधन किया गया, जिससे अंडर–ट्रायल (मुकदमे का सामना कर रहे) कैदियों को चुनाव लड़ने की अनुमति मिल गई।
- लिली थॉमस केस, 2013:
- सुप्रीम कोर्ट ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार दिया।
- इसके तहत, किसी भी सांसद/विधायक को दोषसिद्धि होते ही अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
- इस फैसले ने दोषी जनप्रतिनिधियों को बचाने वाली विशेष छूट को खत्म कर दिया।
राजनीति में अपराधियों के प्रवेश पर तर्क
पक्ष में तर्क:
- नैतिकता की रक्षा:गंभीर अपराधों में दोषी व्यक्ति राजनीतिक प्रणाली की शुचिता को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- जनता का विश्वास:अपराधियों को चुनाव लड़ने देना, जनता के लोकतंत्र पर भरोसे को कमजोर कर सकता है।
- आदर्श आचरण:इससे गलत संदेश जाएगा कि अवैध या अनैतिक आचरण स्वीकार्य है।
- सुरक्षा और कानून व्यवस्था:हिंसक अपराधों या भ्रष्टाचार में दोषी व्यक्ति नागरिकों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
- सामाजिक न्याय:अपराधी नेताओं से कानूनों और नीतियों को प्रभावित करने का खतरा होता है, इसलिए उन्हें सत्ता से दूर रखना आवश्यक है।
विपक्ष में तर्क:
- राजनीतिक भागीदारी का अधिकार:दोषी व्यक्ति भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार रखते हैं।
- पुनर्वास:जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है, उन्हें समाज सेवा का अवसर मिलना चाहिए।
- निर्दोषता की संभावना:कानूनी प्रक्रिया में बदलाव होने पर दोष सिद्धि समाप्त भी हो सकती है।
- अधिकारों पर अतिक्रमण:यह प्रतिबंध राज्य द्वारा जनता के अपने नेताओं को चुनने के अधिकार पर अतिक्रमण हो सकता है।