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संदर्भ:
नैनो उत्प्रेरक: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत स्वायत्त संस्थान, नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (INST) के शोधकर्ताओं ने एक अद्वितीय तारा-आकृति वाले नैनोस्ट्रक्चर (star-like nanostructure) के साथ एक अत्याधुनिक तांबा-आधारित उत्प्रेरक (copper-based catalyst) विकसित किया है।
कॉपर–आधारित उत्प्रेरक (Copper-based Catalyst)
परिचय:
- यह उत्प्रेरक कॉपर ऑक्साइड नैनोस्ट्रक्चर को स्पोरोपोलिनिन टेम्पलेट पर उगाकर तैयार किया जाता है।
- यह औद्योगिक रासायनिक प्रतिक्रियाओं के लिए एक सतत (sustainable) मार्ग प्रदान करता है।
- इसे ग्रीन उत्प्रेरक (Green Catalyst) माना जाता है, क्योंकि यह:
- प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
- कम विषाक्त (Low Toxicity) है।
- कुशल (Efficient) और पुनः उपयोग योग्य (Reusable) है।
- यह पानी में बिना किसी एडिटिव्स के कुशल है और इसे कई बार पुनः उपयोग किया जा सकता है।
उपयोग (Applications):
- जैविक प्रतिक्रियाएं: विभिन्न रासायनिक प्रतिक्रियाओं में सहायक।
- पर्यावरण सुधार: प्रदूषण को कम करने में मददगार।
- नैनोस्केल इलेक्ट्रॉनिक्स: सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोगी।
- सरफेस–एन्हांस्ड रामन स्पेक्ट्रोस्कोपी (SERS): सतह विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण।
कॉपर–आधारित उत्प्रेरकों के लाभ (Advantages of Copper-Based Catalysts):
- प्रचुरता और लागत प्रभावशीलता:
- प्रचुर उपलब्धता (Easily Available): तांबा प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
- कम लागत (Low Cost): यह सस्ता धातु है, जो इसे लागत-प्रभावी विकल्प बनाता है।
- विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाएं:
- लचीली प्रतिक्रियाएं: तांबा विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाओं (Cu⁰, Cu⁺, Cu²⁺, Cu³⁺) में पाया जाता है, जो इसे कई रासायनिक प्रतिक्रियाओं में भाग लेने में सक्षम बनाता है।
- बहुउपयोगी अनुप्रयोग (Versatile Applications):
- रेडॉक्स प्रतिक्रियाएं: ऑक्सीकरण-अपचयन प्रक्रियाओं में व्यापक रूप से उपयोगी।
- कार्बन मोनोऑक्साइड ऑक्सीकरण: CO को CO₂ में परिवर्तित करने में प्रभावी।
- चयनात्मक ऑक्सीकरण: जैविक यौगिकों के चयनात्मक ऑक्सीकरण को सक्षम बनाता है।
- विद्युत–रासायनिक प्रतिक्रियाएं: हाइड्रोजन उत्पादन प्रतिक्रियाओं (HER) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
नैनो प्रौद्योगिकी (Nanotechnology):
परिचय:
- नैनो प्रौद्योगिकी वह तकनीक है जो पदार्थ को परमाणु, आणविक और अति आणविक स्तर पर नियंत्रित करती है, जो लगभग 1 से 100 नैनोमीटर के दायरे में होती है।
- एक नैनोमीटर (nm), एक मीटर का एक अरबवां भाग (10⁻⁹) होता है।
- यह इतनी सूक्ष्म सामग्रियों और उपकरणों का निर्माण और उपयोग है, जिसे और छोटा बनाना संभव नहीं।
मल्टीडिसिप्लिनरी दृष्टिकोण:
- इसमें कई क्षेत्रों का योगदान शामिल है, जैसे:
- अनुप्रयुक्त भौतिकी (Applied Physics)
- सामग्री विज्ञान (Materials Science)
- रसायन शास्त्र (Chemistry)
- जीव विज्ञान (Biology)
- सतह विज्ञान (Surface Science)
- रोबोटिक्स, इंजीनियरिंग और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग
नैनो प्रौद्योगिकी में भौतिकी का योगदान:
- नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स
- नैनोमैकेनिक्स
- नैनोफोटोनिक्स
- नैनोआयोनिक्स
नैनो प्रौद्योगिकी के दृष्टिकोण:
- बॉटम–अप दृष्टिकोण: इसमें सामग्रियों और उपकरणों कोआणविक घटकों से बनाया जाता है, जो रासायनिक रूप से आत्म–विन्यास (Self-assemble) द्वारा तैयार होते हैं।
- टॉप–डाउन दृष्टिकोण: इसमें बड़े घटकों सेनैनो–ऑब्जेक्ट बनाए जाते हैं, लेकिन परमाणु स्तर का नियंत्रण नहीं होता।
नैनो प्रौद्योगिकी के विकास का आधार:
- कोलाइड विज्ञान (Colloidal Science) में पुनः रुचि।
- नई पीढ़ी के विश्लेषणात्मक उपकरणों का विकास, जैसे:
- एटॉमिक फोर्स माइक्रोस्कोप
- स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप